Thursday, September 7, 2017

In Solidarity with Gauri Lankesh- चेहरे

ना जाने कितने अनजान चेहरे खड़े हैं एकजुट,
जिनके चेहरे मैं जानता हूँ,
एक ऐसे चेहरे के लिए,
जिसको उसके क़ातिल कभी भुला ना पाएँगे।
भूलने नहीं देंगे उसका चेहरा, उनको जो-
जो चुप्पी साधे बड़े कर्मयोगी बने फिरते हैं,
जो भीतर कुछ नहीं बस सिर्फ़ एक शून्य हैं,
भुलाने नहीं देंगे उसकी मौत।
खड़े रहेंगे, डटे रहेंगे,
और तुम मारते रहो, हम मरते रहेंगे।
देखेगा हिंदुस्तान भी अब,
कि कुतिया और कुत्ते कैसे शहीद होते हैं।
कितनी वफ़ा लिए वतन के लिए रखते हैं देखोगे तुम भी-
तुम, जिसकी परिभाषा में किसी कुतिया का कुत्ते की मौत मरना-
तुम्हारी पौरुशता की औक़ात बताता है,
अरे! तुम क्या जानो कुत्ते कैसे वफ़ादार होते हैं-
तुम्हें चाहने वाले सर्वोच कर्मढोंगी ख़ुद कुत्ते से बहुत डरते हैं।
एक बार मिसाल उसने भी दी थी एक हुंकार भरके,
की कुत्ता भी गाड़ी के नीचे आ जाए तो कैसा लगता है,कहा था उसने-
अब तुम जानोगे की कुत्त जब अपनी पे आजाए,
तो कैसा लगता है।
ना जाने कितने अनजान चेहरे खड़े हैं एकजुट,
जिनके चेहरे मैं जानता हूँ,
एक ऐसे चेहरे के लिए,
जिसको उसके क़ातिल कभी भुला ना पाएँगे।

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